राजधानी दिल्ली में टू-वीलर के लिए बढ़ी मुश्किल, जानें क्या है वजह

नई दिल्ली : एक हल्की रोशनी वाले कमरे में, कंप्यूटर मॉनीटर की शांत गुनगुनाहट ही एकमात्र ध्वनि है। इसकी वजह है कि ट्रैफिक अधिकारी दिल्ली भर में सैकड़ों कैमरों से लाइव फुटेज स्कैन कर रहे हैं। प्रत्येक स्क्रीन शहरी अराजकता का एक हिस्सा कैप्चर करती ह

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नई दिल्ली : एक हल्की रोशनी वाले कमरे में, कंप्यूटर मॉनीटर की शांत गुनगुनाहट ही एकमात्र ध्वनि है। इसकी वजह है कि ट्रैफिक अधिकारी दिल्ली भर में सैकड़ों कैमरों से लाइव फुटेज स्कैन कर रहे हैं। प्रत्येक स्क्रीन शहरी अराजकता का एक हिस्सा कैप्चर करती है। इसमें टू-वीलर राइडर रेडलाइट जंप करते या गलत तरीके से बाइक चलाते दिखते हैं। एक अधिकारी एक क्लिप को रिवाइंड करता है। वह धुंधली सी दिख रही लाइसेंस प्लेट पर जूम करता है। 'समझ गया' वह बुदबुदाता है। यह केवल अधिकारियों के लिए डेटा नहीं है, यह दिल्ली की अनियंत्रित सड़कों के लिए पहली पंक्ति की सीट है।

हर दिन 20 हजार उल्लंघन की ट्रैकिंग

इन कैमरों के जरिये प्रतिदिन 20,000 से अधिक उल्लंघनों का पता लगाया जाता है। अपनी डिजिटल सतर्कता को मजबूत करने के लिए, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस अपने 334 के मौजूदा बेड़े में लगभग 300 नए कैमरे जोड़कर अपनी स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) प्रणाली को दोगुना करने पर विचार कर रही है।

इनमें से 209 रेड लाइट वायलेशन डिटेक्शन (RLVD) कैमरे और 125 ओवर-स्पीड वायलेशन डिटेक्शन (OSVD) कैमरे हैं। केवल 95 कैमरे दोपहिया वाहनों द्वारा किए गए उल्लंघन का पता लगा सकते हैं, यह एक ऐसा अंतर है जिसे नई प्रणाली पाटने का प्रयास कर रही है।

कैसे काम करता है कैमरा सॉफ्टवेयर

जब ट्रैफिक सिग्नल लाल हो जाता है, तो RLVD कैमरा सॉफ्टवेयर एक काल्पनिक रेखा खींचता है। यदि कोई वाहन इस रेखा को पार करता है या इसके भीतर रुकता है, तो कैमरा लाइसेंस प्लेट को कैप्चर करता है और उल्लंघन को लॉग करता है। इस बीच, OSVD कैमरे एक वाहन की स्पीट की कैलकुलेशन उस फॉर्मूला का उपयोग करके करते हैं जो अधिकांश छात्रों को याद है: गति बराबर दूरी/ समय।

कैमरों को दो काल्पनिक रेखाओं के बीच की दूरी के साथ प्रोग्राम किया गया है। यदि किसी वाहन के जरिये इस दूरी को कवर करने में लिया गया समय तय सीमा से अधिक स्पीड को दर्शाता है, तो सिस्टम इसे चिह्नित करता है। कंट्रोल रूम डिजिटल सबूत को कन्फर्म करता है।

रॉन्ग साइड ड्राइविंग, ट्रिपल राइडिंग पर होगी नजर

अब जिस नई प्रणाली की योजना बनाई जा रही है, उसका उद्देश्य ट्रैफिक लाइट और स्पीड उल्लंघन से आगे बढ़ना है। स्पेशल सीपी (ट्रैफिक मैनेजमेंट) अजय चौधरी ने कहा कि यह तकनीक अन्य ट्रैफिक उल्लंघनों जैसे कि गलत साइड ड्राइविंग, बिना हेलमेट के ड्राइविंग, ट्रिपल राइडिंग आदि का पता लगा सकती है। जहां तक पोर्टल में गड़बड़ियों का सवाल है, हम पोर्टल को और अधिक यूजर फ्रेंडली बनाने और एसएमएस के अलावा और भी कम्यूनिकेशन विकल्प प्रदान करने के लिए पहले से ही राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के संपर्क में हैं।

अपग्रेड किया गया नेटवर्क कॉमर्शियल ट्रकों और प्राइवेट कारों सहित सभी कैटेगरी के वाहनों की अधिक सटीकता से निगरानी करेगा, लेकिन अधिक फोकस दोपहिया वाहनों पर रहेगा। सत्य वीर कटारा, अतिरिक्त सीपी (ट्रैफिक) और शशांक जायसवाल, डीसीपी (ट्रैफिक मुख्यालय) इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं। जायसवाल ने कहा कि इन अतिरिक्त सुविधाओं से सिस्टम में सुधार आएगा। इससे यह सभी वाहनों को कवर करने वाले उल्लंघनों का पता लगाने में सक्षम होगा।

लोगों को नहीं है पोर्टल की जानकारी

तकनीकी प्रगति के बावजूद, पुराने कॉन्टेक्ट डिटेल, बोझिल पोर्टल और सीमित सार्वजनिक जागरूकता के बारे में सवाल हैं। आलोचकों का तर्क है कि कैमरों की संख्या दोगुनी करने से पहले, पुलिस को इन खामियों को ठीक करने और नागरिकों के साथ सहज कम्यूनिकेशन सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। प्रतिदिन, पुलिस 60-80 शिकायतें दर्ज करती है।

अधिकांश लोग 15-दिवसीय शिकायत पोर्टल से अनजान हैं, जहां वे जुर्माने का विरोध कर सकते हैं। एक व्यक्ति ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस के पास पुरानी संपर्क जानकारी होने के कारण मुझे जानकारी नहीं मिली। जब तक लोग लंबित नोटिस पोर्टल की जांच नहीं करते, तब तक वे उल्लंघनों के बारे में अंधेरे में रहते हैं। जबकि दूसरे ने कहा कि भले ही मैंने शिकायत दर्ज की हो, मुझे कोई वैध प्रतिक्रिया नहीं मिली और मेरा चालान अदालत में भेज दिया गया।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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